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Broiler Farming for Beginners- छोटे पैमाने पर ब्रायिलर फार्मिंग में अवसर 

Broiler Farming for Beginners- छोटे पैमाने पर ब्रायिलर फार्मिंग में अवसर 

Dr. Ibne Ali by Dr. Ibne Ali
July 7, 2020
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Broiler Farming for Beginners- छोटे पैमाने पर ब्रायिलर फार्मिंग में अवसर 

छोटे पैमाने पर ब्रायिलर फार्मिंग में अवसर (For English article click here)

ब्रायिलर पोल्ट्री फार्मिंग का स्कोप : सन 2016 में टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण के अनुसार भारत की लगभग 70% आबादी (15वर्ष से अधिक आयु वाले) माँसाहारी है और इस बात का सबूत देश में तेज़ी से बढ़ता हुआ माँस का व्यवसाय है, जिसमे पोल्ट्री का एक ख़ास योगदान है. ब्रायिलर पक्षी माँस के लिए पाले जाते हैं जिसका उत्पादन देश में 8% प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है. लोगो की बढ़ती हुई आए और खाने पीने में अधिक प्रोटीन की मात्रा को सम्मिलित करने के लिए लोगो का ख़ास रुझान पोल्ट्री से प्राप्त होने वाले उत्पादो पर है जैसे ब्रायिलर माँस और अंडे. दूसरी तरफ रेड मीट (जो की बकरी या भैंस से प्राप्त होता है) को सेहत के लिए हानिकारक भी माना जाता है उसकी वजह से भी ब्रायिलर माँस की माँग अधिक तेज़ी से बढ़ रही है. आगे आने वाले समय में भैंसो और बकरियो की संख्या अधिक ना बढ़ने की वजह से माँस का भार ब्रायिलर पर ही पड़ना है.

इस संलेख में मोटे तौर पर छोटे व्यवसाइयो के लिए टेक्निकल जानकारी दी गयी है जिससे वो इस व्यवसाय के अच्छे बुरे पहलू समझ सकें और इस व्यवसाय को करने का निर्णय ले सकें.

आवश्यकतायें – (1) ज़मीन (2) अच्छी नस्ल के चूज़े (3) अच्छी क्वालीटी का बॅलेन्स फीड / दाना (4) दवाईया और सपलिमेंट (5) साफ पानी (6) शेड (7) दाने और पानी के बर्तन (8) लेबर

यहाँ पर जो जानकारी दी जाएगी वा 3000 ब्रायिलर मुर्गियो के हिसाब से दी जा रही है.

(1) ज़मीन – ज़मीन सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है और पर्याप्त भूमि का अच्छी लोकेशन पर होना ज़रूरी है. यह ज़मीन आबादी से लगभग 500m दूर होनी चाहिए, और रोड से जुड़ी होनी चाहिए जहाँ से माल को लाया ले जा सके. 3000 मुर्गियों के लिए लगभग 3600sqft जगह की आवश्यकता होती है.

(2) अच्छी नस्ल के चूज़े – ब्रायिलर चूज़े अत्यधिक जेनेटिक विकास के बाद बनाए गये है, और ये आम देसी मुर्गियो की तरह नही होते. इनकी ग्रोथ बहुत तेज़ होती है और यदि सही मॅनेज्मेंट रखा जाए तो 50 ग्राम का एक चूज़ा 42 दिन में सवा दो किलो से अधिक तक का हो जाता है. मार्केट में कई कंपनया अपने पेटेंटेड चूज़े बेचती है. जैसे – कॉब, लोहमन, रॉस, अवियाजन आदि. इन सबमे कॉब की परफॉर्मंस सबसे अच्छी रहती है.

(3) फीड / दाना – पोल्ट्री या पशु पालन व्यवसाय का सबसे आधारभूत स्तंभ फीड ही होता है. जो लोग सही तरह से फीड मॅनेजमेंट नही कर पाते उन्हे भारी नुकसान उठाने पड़ते हैं और वो लोग व्यवसाय से बहार हो जाते हैं. कई लोग ये समझते हैं की जानवरो को कुछ भी खिलाया जा सकता है और गैर वेज्ञयानिक तौर पर अपने पशुओं की फीडिंग करने लगते हैं जिससे पोल्ट्री या पशु का उत्पादन गिरता है वज़न घटता है और वो बीमार पड़ जाता है. इसलिए फीड प्रबंधन सीखना बहुत ज़रूरी हो जाता है. पोल्ट्री में फीड की कार्यकुशलता यानी feed efficiency को FCR में नापा जाता है. यह मानक बहुत उपयोगी होता है, इसमे मुर्गी के द्वारा खाए गये फीड को उसके वज़न से भाग दिया जाता है और जो संख्या प्राप्त होती है उसे हम उस ब्रीड के स्टैंडरड चार्ट से मिलाते हैं. जैसे कॉब मुर्गा 35 दिन की आयु पर 1.5 FCR देता है. (मतलब 3kg फीड खाकर 2 किलो ग्राम वज़न कर लेता है) अब यदि FCR 35 दिन की आयु पर 1.58 से अधिक होता है तो किसान को नुकसान होने लगता है. यह FCR अच्छे प्रबंधन से पाया जा सकता है.

पोल्ट्री में ये फीड ब्रायिलर फीड के नाम से मिलता है जो की प्रोटीन और उर्जा की मान के आधार पर तीन अलग अलग रूपो में मिलता है. (1) प्री स्टारटर (2) स्टारटर (3) फिनिशर (फीड फार्मूलेशन या फार्म खोलने से सम्बंधित सलाह के लिए क्लिक करें)

(4) दवाईया और सपलिमेंट – ब्रायिलर के चूज़े बहुत तेज़ी से बढ़ते है और ये मात्र 40 दिन की आयु में 2kg से अधिक के हो जाते हैं. इसलिए यदि इन्हे अनुमानित तौर पर पोशाक तत्व ना दिए जाएँ तो ये सही से नही बढ़ पाते और FCR उपर चला जाता है. तेज़ी से बढ़ने की वजह से इनमे बीमारियो का ख़तरा भी बना रहता है इसलिए टीकाकरण और आंटिबयाटिक्स भी चलाई जाती हैं.

(5) दाने और पानी के बर्तन – बड़े पैमाने पर पोल्ट्री फार्मिंग करने के लिए इन बर्तनो को ख़ास तौर से तय्यार किया जाता है. इनकी संख्या फार्म में मुर्गियो की संख्या पर निर्भर करती है. प्रत्येक 1000 मुर्गियो पर 20 खाने के बर्तन और 20 पानी के बर्तन रखे जाते हैं. आज कल पानी के लिए ऑटोमॅटिक बर्तन आने लगे है जो पानी की टंकी से डाइरेक्ट जुड़ जाते हैं जिन्हे बेल ड्रिंकर कहते हैं. इन बर्तनो का मूल्य लगभग रु 200 प्रत्येक बर्तन होता है.

(6) साफ पानी – जैसा की हमने पहले पढ़ा की ये चूज़े बहुत तेज़ी के साथ बढ़ते हैं और पोषण में थोड़ी सी कमी भी ग्रोथ को कम कर देती है और सभी पक्षियो पर हुए असर को देखा जाए तो यह बहुत बड़ा नुकसान बन जाता है. इसलिए पानी का TDS 150 से 200 तक होना चाहिए, वैसे TDS 1000 तक भी चल जाता है यदि पानी खारा न हो तो.

(7) शेड – पोल्ट्री फार्मिंग में अच्छा हवादार शेड बहुत आवश्यक होता है. जब बहुत सारी मुर्गियाँ एक साथ रहती हैं तो कई गैसे और धूल फार्म में निकलती रहती हैं, जिन्हे फार्म से तुरंत निकालना ज़रूरी होता है. इसलिए अच्छे वेंटिलेशन का होना अनिवार्य हो जाता है. इसी बात को ध्यान मे रखते हुए शेड की चौड़ाई 30ft होनी चाहिए और लंबाई 120ft होनी चाहिए. और A आकार की छत जिसमे साइड की दीवार 7ft (जिसमे 1.5ft इंट की दीवार और बाकी लोहे की जाली) और बीच की उँचाई 10ft तक होनी चाहिए. जैसा की चित्र में दिखाया गया है. (मुर्गी फार्म में आवास प्रबंधन क्लिक करें)

3000 मुर्गियों के फार्म की एकनॉमिक्स

लागत

(1) चूज़े का दाम – रु 25 X 3000 = रु 75,000

(2) फीड – रु 30 X 3.5 X 3000 = रु 315,000

(3) दवाई और सपलिमेंट – रु 5 X 3000 = रु 15000

(4) लेबर – रु 4 X 3000 = रु 12000

(5) अन्य (जैसे बिजली, लिट्टर आदि) – रु 2 X 3000 = रु 6000

(6) शेड की लागत – रु 75/sqft X 3600 = रु 270000

(7) दाने और पानी के बर्तन – रु 200 X 120 = रु 24000

(7) कुल लागत = रु 717,000

आमदनी

(1) 42 पर एक मुर्गी का औसत वज़न 2.25kg = कुल वज़न 6750kg

(2) 1kg ज़िंदा वज़न के औसत दाम रु 80/- = कुल आमदनी रु 80 X 6750 = रु 540,000

(3) कुल लागत शेड और बर्तन छोड़कर = रु 423,000

(4) कुल कमाई = रु 117,000 प्रत्येक 42 दिन पर

 

यहाँ सारी संख्याएं सामान्य मार्केट रेट के हिसाब से ली गयी हैं, यह डिमांड सप्लाई के हिसाब से बदलती रहती हैं 

ब्रायलर फार्मिंग के सिधांत – ये किताब खरीदने के लिए व्हाट्सएप करें (WhatsApp)

साल भर रेट किस प्रकार रहते हैं और चिक्स कब डालना चाहिए और कब नहीं यह देखने के लिए यह विडियो देखें 

 

Dr. Ibne Ali

Dr. Ibne Ali

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