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Home Hindi Section

राष्ट्रीय लाइवस्टॉक मिशन क्या है, कैसे करें आवेदन 1 करोड़ तक के लोन के लिए

Dr. Ibne Ali by Dr. Ibne Ali
November 16, 2022
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National Livestock Mission – Best Scheme Ever for Livestock & Poultry Development

राष्ट्रीय लाइवस्टॉक मिशन क्या है?

एनएलएम या राष्ट्रीय पशुधन मिशन मुख्य रूप से बैकयार्ड पोल्ट्री और छोटे जुगाली करने वाले (बकरी और भेड़) उत्पादन के साथ-साथ चारा संसाधन विकास और बीमा जैसे कुछ अन्य घटकों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की एक योजना है। यह एक व्यापक योजना है जो निश्चित रूप से रोजगार सृजन में वृद्धि करती है, खाद्य सुरक्षा में सुधार करती है और पशु उत्पादकता को बढ़ाएगी। वैसे तो यह योजना काफी पुरानी है लेकिन पिछले साल (2021) में पशुपालन विभाग द्वारा इसे फिर से संशोधित कर फिर से तैयार किया गया है। पशुधन क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए, इस क्षेत्र में शामिल 10 करोड़ किसानों के लिए पशुपालन को अधिक लाभदायक बनाना इसका उद्देश्य है। निवेश को आकर्षित करने के प्रयास में अगले पांच वर्षों में पशुधन विकास पर 9,800 करोड़ रुपये। 55,000 करोड़ बाहर का निवेश। इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, राज्य सहकारी समितियों, वित्तीय संस्थानों, बाहरी फंडिंग एजेंसियों और अन्य हितधारकों जैसे विभिन्न संस्थानों का हिस्सा शामिल है।

एनएलएम को 2014-15 के वित्तीय वर्ष में लॉन्च किया गया था और इसका उद्देश्य पशुधन उत्पादन प्रणालियों में मात्रात्मक और गुणात्मक सुधार और सभी हितधारकों की क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना था। यह योजना अप्रैल 2019 से श्वेत क्रांति - राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना की उप योजना के रूप में लागू की जा रही थी। देश में खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए रोजगार, उद्यमिता और पशु उत्पादकता के विकास के उद्देश्य से एनएलएम योजना को वित्तीय वर्ष 2021-22 से संशोधित और पुनर्गठित किया गया है।
एनएलएम के साथ हमारी सरकार का लक्ष्य अधिक उत्पादन करना है। जितना अधिक हम उत्पादन करते हैं, उतना ही हम अपनी बढ़ती हुई जनसँख्या का पेट भर सकते हैं। जब हम अधिक भोजन का उत्पादन करते हैं, तो हमारी घरेलू खाद्य सुरक्षा बढ़ जाती है, जिसका अर्थ है कि हमारे पास अपने निर्यात बाजार को देने के लिए और अधिक होगा। यह बदले में हमारे उत्पादों की मांग को बढ़ाता है और हमें विदेशी मुद्रा और संसाधनों तक अधिक पहुंच प्रदान करता है।

संगठित बाज़ारों की आवश्यकता

आज के समय में जब उत्पादकता पर इतना ध्यान दिया जाता है तो ऐसे में मार्केट काफी कॉन्पिटिटिव हो जाते हैं समय तेजी से बदल रहा है सरकारों उनके लिए यह जानना आवश्यक हो गया है कि कहां कितना और कैसे उत्पादन हो रहा है सभी आर्थिक गतिविधियों को बैंकों के दायरे में लाना सरकार की प्राथमिकता है जब आर्थिक गतिविधि बैंक के दायरे में आ जाती है तो उससे जुड़ा बाजार संगठित होने लगता है इसका लाभ उपभोक्ता और किसान दोनों को मिलता है बिचौलियों से होने वाली लूट से उत्पादक बजाता है और अतिरिक्त संसाधन और मेहनत अपने उत्पादन को बढ़ाने में लगाने लगता है संगठित बाजारों में इंफ्रास्ट्रक्चर और पूंजी का बहाव खूब होता है जिसकी वजह से सप्लाई साइड फलती फूलती है और डिमांड को पूरा करती है एन एल एम इसी पद्धति पर काम करने की योजना है इसमें किसानों को शिक्षित करना और उन्हें पर्याप्त संसाधन मुहैया कराने इसका उद्देश्य है|

मिशन के उद्देश्य

मिशन के मुख्य उद्देश्य रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देना हैं साथ-साथ भेड़ बकरी पोल्ट्री सेक्टर का विकास भी इसकी प्राथमिकता है देश में ब्रीड विकास के ज़रिये पशु उत्पादकता को बढ़ाना, साथ-साथ मीट अंडे बकरी के दूध ऊन और 4a के उत्पादन को बढ़ाना इसके उद्देश्यों में से एक हैं जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश में पशु चारे और दाने की काफी कमी है जिसके लिए इस परियोजना में फॉर द प्रोसेसिंग यूनिट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें साइलेज और हे बनाने के प्रोजेक्ट्स दिए जाएंगे| जो किसान इसके प्रतिभागी होंगे उन्हें बीमा योजना के लाभ भी दिए जाएंगे साथ साथ उद्यमियों और इससे जुड़े टेक्निकल लोगों की ट्रेनिंग और नई तकनीकों से जान पहचान कराना भी इस परियोजना का उद्देश्य रहेगा

मिशन डिजाइन

इस योजना में मुख्यतः तीन भाग हैं पहले भाग में ब्रीड के विकास पर जोड़ दिया गया है जिसमें मुख्य था भेड़ बकरी सूअर और देसी मुर्गी की ब्रीड्स को रखा गया है इसका दूसरा भाग सीट और फोल्डर विकास से संबंधित है जिसमें सीड बीज उन्नत बीज के उत्पादन को लेकर इकाइयां बनाई जाएंगी इसके अलावा फॉर द प्रोसेसिंग जैसे साइलेज है आदि से संबंधित प्रोजेक्ट्स दिए जाएंगे इसका तीसरा घटक नवाचार और विस्तार होगा जिसमें नए-नए आधुनिक विचारों को आमंत्रित किया जाएगा और उनके प्रचार प्रसार करने वाली संस्थाओं को सपोर्ट किया जाएगा|

संस्थागत संरचना

संस्थागत संरचना के अंतर्गत सबसे पहले एंपावर्ड कमेटी का गठन हुआ है इसमें केंद्र सरकार के एनिमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारी रहेंगे सभी स्कीमों के लिए दिशा निर्देश और नीति को बनाने की जिम्मेदारी इस संस्था की रहेगी नीति में कोई भी बदलाव के लिए यह कमेटी जिम्मेदार रहेगी| इसके नीचे दूसरी कमेटी आती है जिसे परियोजना स्वीकृति समिति या प्रोजेक्ट अप्रूवल कमेटी कहा जाता है इसके बिना अप्रूव किए कोई भी सब्सिडी ग्रांट नहीं की जा सकती| इसके बाद राज्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति का गठन होता है यह समिति आवेदकों से स्वीकृत एप्लीकेशन लेकर पीएसी को देती है और वह सब्सिडी अप्रूव करती है| इसके नीचे एक और समिति काम करती है जिसे स्टेट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी या राज्य कार्यान्वयन समिति कहते हैं असल में यह संस्था ही डायरेक्ट अभ्यर्थियों और आवेदकों के संपर्क में आती है इसी के जरिए से आपके एप्लीकेशन या आवेदन सब्सिडी के लिए केंद्र सरकार तक पहुंचाए जाते हैं|

स्टेट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी का काम

स्टेट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी के काम इस संस्था का मुख्य काम यह होता है कि यह आवेदकों से उनके व्यवसाय के प्रस्ताव और आवेदन पत्र लेती है उसके बाद यह संस्था इन आवेदनों को भली-भांति नाचती है और उनकी समीक्षा करती है यदि जांच के दौरान इस समिति को प्रोजेक्ट या आवेदन करने वाले में कोई कमी नजर आती है तो यह उसे रिजेक्ट कर देती है यदि स्टेट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी को प्रोजेक्ट समझ में आ जाता है और आवेदक के ऊपर इसे भरोसा हो जाता है तो यह बैंक से लोन के लिए उस प्रोजेक्ट को स्वीकृत कर देती है बैंक इस समिति की सिफारिश को दर्जी देते हैं और अमूमन लोन को प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृति दे देते हैं एक बार लोन के लिए स्वीकृति मिल जाने के बाद स्टेट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी इस प्रोजेक्ट को स्टेट लेवल एग्जीक्यूटिव कमिटी (राज्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति) के पास भेज देती है| जब स्टेट लेवल एग्जीक्यूटिव कमिटी को प्रोजेक्ट ठीक लगता है तो वो पी ऐ सी से सब्सिडी क लिए सिफारिश करती है और सब्सिडी आवेदक के अकाउंट में अ जाती है|

सब्सिडी किसे मिलती है?

सब्सिडी लेने के लिए आवेदक को कि कुछ एलिजिबिलिटी या पात्रता होती है जिससे समितियां यह निर्धारित करती हैं की उपरोक्त आवेदक को सहायता दी जानी चाहिए या नहीं इसमें सबसे पहला जो मापदंड होता है वह यह होता है कि जिस क्षेत्र में उधमी ने लोन यह सब्सिडी अप्लाई की है उस क्षेत्र में उसका ज्ञान कितना है या फिर उसकी टीम में कोई तजुर्बे कार व्यक्ति उस क्षेत्र से है या नहीं या फिर कोई तकनीकी सलाहकार उनके साथ है या नहीं है इसके अलावा सब्सिडी के लिए सरकार द्वारा निर्धारित किए गए शेड्यूल बैंक से लोन की प्राप्ति भी एक आवश्यक मापदंड है साथ साथ आवेदकों के पास या तो अपनी भूमि या फिर लीज पर ली गई भूमि का होना आवश्यक है इसके अलावा केवाईसी डॉक्यूमेंट जैसे आधार पैन कार्ड आदि की जरूरत पड़ती है

उद्यमिता कार्यक्रमों की परियोजना स्वीकृति: सब्सिडी की ग्रांट किस प्रकार मिलती है

इसमें सबसे पहले व्यक्ति को एक एप्लीकेशन स्टेट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी के समस्त प्रस्तुत करनी होती है जो एन एल्बम पोर्टल के माध्यम से भेजी जाती है यह एजेंसी एप्लीकेशन की भलीभांति जांच करती है और उसे शेड्यूल बैंक के से लोन दिलाने के लिए सिफारिश करती है जब बैंक सिफारिश को स्वीकार करके लोन देने के लिए तैयार हो जाता है तो उसके बाद आवेदन को स्टेट लेवल एग्जीक्यूटिव कमेटी के पास भेजा जाता है जो उसे केंद्र सरकार तक भेजती है केंद्र सरकार में एनिमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट को यह आवेदन दिया जाता है जो सब्सिडी को पीएसी के माध्यम से आवेदक के खाते में जमा करा देते हैं यह सारा फंड ट्रांसफर सिडबी बैंक के माध्यम से होता है सरकार डिपार्टमेंट ऑफ एनिमल हसबेंडरी के जरिए से सब्सिडी को सिडबी बैंक में बनाए गए आवेदक के खातों में जमा करती है वहां से शिर्डी उस सब्सिडी को आवेदक के खातों में भेजता है सब्सिडी लेने के लिए बैंक को लोन की किस्त आवेदक को देनी होती है जैसे ही लोन की किस्त आवेदक को मिल जाती है उसके बाद सब्सिडी आवेदक के खाते में आ जाती है|

पोल्ट्री के लिए किस प्रकार से सब्सिडी मिलती है

इस स्कीम में बैकयार्ड पोल्ट्री के उत्थान के लिए और ब्रिज डेवलपमेंट के लिए लोन दिया जाता है जिसमें सरकार का उद्देश्य यह रहता है कि बैकयार्ड पोल्ट्री जो कम लागत से की जा सकती है उसे बढ़ावा दिया जाता है इसके लिए आवेदकों को यह सेल्फ हेल्प ग्रुप भी अप्लाई कर सकते हैं इसमें सरकार देसी मुर्गियों के पैरंट फॉर्म एचडी ब्रूडर कम मदर यूनिट हैचिंग एग्स और सिक्योरिंग यूनिट को लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है इसमें केंद्र सरकार कुल 50% कैपिटल सब्सिडी देती है जिसका मतलब यह है कि फॉर्म बनाने के लिए और उसमें हेचडी या उससे संबंधित अन्य उपकरण खरीदने के लिए पैसे मिलते हैं इसमें 1000 तक पैरंट लेयर मुर्गियां रखने का प्रावधान है| बाकी की पूंजी आवेदक को बैंक के लोन से या फिर अपने आप से अपने पास से लगानी होती है इसमें किसी भी तरीके की कमर्शियल पोल्ट्री जैसे ब्रायलर या लेयर नहीं लगा सकते केवल कम लागत में की जाने वाली देसी मुर्गियां इसमें पाली जाती हैं इसमें पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 5000000 होती है जिसमें अधिकतम सब्सिडी ₹2500000 तक केंद्र सरकार से मिल जाती है यह सब्सिडी उसी तरह से खाते में आती है जैसा कि पहले बताया जा चुका है

भेड़ और बकरी पालन के लिए मिलने वाली सब्सिडी

भेड़ और बकरी पालन के लिए सब्सिडी मिलने का तरीका वही है जो पहले बताया जा चुका है इसमें सरकार के मुख्य उद्देश्य यह है की उद्यमिता को भेड़ और बकरी पालन में बढ़ावा दिया जाए इसके साथ साथ इसके टिकाऊ व्यापार मॉडल विकसित किए जाएं जिससे युवा पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार को बढ़ावा दिया जा सके इसमें कोई भी व्यक्ति अप्लाई कर सकता है इसमें सबसे छोटी यूनिट में 500 बकरियां और 50 बकरे के साथ करने का प्रावधान है यह बकरियां अच्छी नस्लों की होनी चाहिए सिर्फ वही बकरी आवेदक पाल सकते हैं जिनका प्रावधान प्रदेश समिति की गाइडलाइन में दिया गया है इसमें कुल 1 करोड रुपए तक का प्रोजेक्ट लगाने का प्रावधान है जिसमें 50% तक सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी जिसका अर्थ यह है कि ₹5000000 गवर्नमेंट की तरफ से और ₹5000000 आपकी तरफ से लगाए जाएंगे

To read this article in English click here

हमसे व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Goat Diseases Syllabus.pdf from Ibne Ali
Tags: nlmNLM ke antargat subsidyNLM me avedanराष्ट्रीय लाइवस्टॉक मिशन
Dr. Ibne Ali

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